चाहा जिसे बेइंतहा फिर सिर उठाया दीदार को बड़े नाज़ से
नज़रों से ओझल क्यूं दर्द दे मेरे संग, होता ही अक्सर ऐसा है
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चलते हैं संग ज्यों ये ज़िन्दगी भर बनकर नदी के पाट की तरह
मिलना कहां चलते भले यूं युग युगों से, होता ही अक्सर ऐसा है
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न मौका न कोई दस्तूर देख लगा आवाज़ मैं हर पल साथ हूँ तेरे
मैं जिया तेरे संग, तेरे लिये मिट जाना, होता ही अक्सर ऐसा है
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मैं तो बंजारा हूँ लिया है हर जनम तेरी ही खातिर,तेरी बंदगी के लिये
कभी अफसोस नहीं तेरी ख़याल में,ये साँसे भी तोड़ दूं ज़िन्दगी के लिये
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किसी के प्यार में इतने मसरूफ नहीं कि भूल जाओ हमें उसकी याद में ऐसे
न ही इश्क में हमने इतना मगरूर बना दिया कि यूं याद कभी तड़पाये नहीं
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दे सदा मैं कभी भी चला आऊंगा, तेरी आहट पर भी बिन बुलाये चला आऊंगा
पर ज़रा सोच जो चला गया कभी, आना भी चाहूँ कभी तेरे पास न आ पाऊंगा
चित्र गूगल से साभार
२० जून २०१३
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteमजा आ गया
अतिशय भावपूर्ण व्यंजना !
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteदे सदा मैं कभी भी चला आऊंगा तेरी आहट पर भी बिन बुलाये चला आऊंगा
ReplyDeleteपर ज़रा सोच जो चला गया कभी आना भी चाहूँ कभी तेरे पास न आ पाऊंगा
Very nice.
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कल 05/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
यशवंत माथुर जी आपके स्नेह का आभारी
Deleteबहुत बढ़िया...........
ReplyDeleteलाजवाब भावाव्यक्ति..
सादर
अनु
किसी के प्यार में इतने मसरूफ नहीं कि भूल जाओ हमें उसकी याद में ऐसे
ReplyDeleteन ही इश्क में हमने इतना मगरूर बना दिया कि यूं याद कभी तड़पाये नहीं
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दे सदा मैं कभी भी चला आऊंगा तेरी आहट पर भी बिन बुलाये चला आऊंगा
पर ज़रा सोच जो चला गया कभी आना भी चाहूँ कभी तेरे पास न आ पाऊंगा
वाह ,लाजवाब दिल को सुकून मिला ये पढ़कर , ढेरो शुभकामनाये ,
यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html
बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteप्रभावी अभिव्यक्ति...बधाई...
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