Thursday 31 January 2013

पंचर



ज़िन्दगी में क्या कुछ नहीं सहा जाता
लेकिन कभी कभी बयान करना कठिन हो जाता है
चलिये साझा करते हैं एक आपबीती खट्टी मीठी याद
जब हम चलते थे और लोग मुड़कर देख ही लेते थे

वर्ष 1994 भरी सुबह साइकल ने दगा दे दिया
तब सेलरी कम थी, पंचर हो गई साइकल रानी
कोरबा स्थित गेवरा रोड पण्डित जी की दुकान पहुंचे
पंचर बनाते देर देखकर किराये की साइकल मांगी

पण्डित जी ने प्रसन्न मुद्रा में नाम पूछा बोलिये?
आपका नाम टांक देता हूँ रजिस्टर में ताकि सनद रहे
हमने भी तुरत बतला दिया लिखिये रमाकांत सिंह
नाम पूरा होने के पहले कर्कश आवाज में डांट पड़ी

रखो साइकल और दुकान से बाहर निकल जाओ
हमने पंडित जी से पूछा किस बात के लिए गुर्राहट
उसने कहा बात मत करो गाड़ी रखो और दफा हो जाओ
अब हमें भी गुस्सा आ गया हमने भी कड़क हो कारण पूछा

पंडित ने बुरी नज़र से देखकर कहा जवाब क्यों दें
गाड़ी नहीं देनी है अपना रस्ता नापो समय खोटी मत करो
हमने भी आव देखा न ताव 500रूपया निकाल गल्ले पर पटका
गाड़ी की कीमत रखो नई गाड़ी दो, अपना मुह मत खोलो

क्या कहा मुह मत खोलें, अरे नहीं देनी है गाड़ी वाड़ी आगे बढ़ो
क्यों नहीं दोगे, दुकान काहे खोल रखे, हो देना पड़ेगा
बस वार्ता लाप तेज पर तेज, हमने पूछा कारन बतलाओ?
कारन क्या बतावें का नाम बताया रमाकांत?

बस ये ही करनवा है ये गलत नाम हम पचा नहीं पाये
नाम में क्या गड़बड़ी है नाम तो साफ सुथरा है
का बोले इ नाम साफ सुथरा है तो बाकि सब ख़राब?
अरे हाँ रमा याने लक्ष्मी, और कान्त याने पति

मतलब विष्णु भगवान
काहे का बिशनु भगवान

आज तक ऐ नाम का कौनो आदमी साफ सुथरा नहीं मिला
त तुम का सीधे बिशनु जी मिलोगे?
नहीं देना गाड़ी मुड़ मत पिरवाइए निकल लीजिये
गाड़ी लाख समझाने के बाद भी नहीं मिली

आज तक मुझे मेरे नाम का रहस्य समझ नहीं आया
आखिर क्या गड़बड़ झाला है मेरे नाम में?

01 फरवरी 2013

     

Sunday 13 January 2013

मोती




ये अक्सर हो जाता है अक्सर हर बार क्यूँ तेरे साथ ही
मेरी माँ, बहन, बेटी मुझसे ही पूछ बैठते हैं हर पल क्यूँ?

न होगा हादसा न आंसूं न तमाशा बनने देंगे
न होगा मौन जन दुर्योधन सजायेगा सभा

ज़िन्दगी पास तेरे सोचता हूँ अक्सर हर लम्हा
तुझसे नाराज़ हूँ मैं या फिर नाराज़ मुझसे तू

बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से

हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी

14.01.2013
चित्र गूगल से  साभार