Tuesday 23 October 2012

ज़रा देखूं



यूँ जो टूटा वो तन्हा होता ही है
जो तोड़ा वो तन्हा हो जाता है


समझने और समझाने में सपने टूट जाते हैं
बैठो संग, चलें कुछ दूर, शायद पास आ जायें


झुकाकर आँख दिल में झांकना तेरी अदा है
ज़रा देखूं ला मेरा नाम पंखुड़ी में लिखा है


दफ़न यादों में सब कुछ देख कोई शिकवा गिला है
सहेजा मान मर्यादा फिर बिखरा सिमटा मिला है

24.10. 2012
चित्र गूगल से साभार  

Friday 12 October 2012

दामन


इश्क खुदा है?
इश्क ही रब है?
प्रेम ईश्वर है?
तब प्रेम में कष्ट क्यों?

प्रेम अंधा होता है?
या मूंद लेता है आंखे?
प्रेम करनेवाला निर्बल?
प्रेम ह्रदय में बसता है?

बड़ी खूबसूरती से
तुमने दामन छुड़ाया
कर लिया किनारा
हाथ सरकाकर

तुम्हे पता है
हमें खबर हुई?
बस अलग हो गये
अगले चौराहे से

बिन कहे बिन सुने
उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर
एक ऐसी यात्रा में
जिसका ओर न छोर

15.04.2011

Monday 8 October 2012

जिद



मुस्कुराने के लिये, गर चाँद ही काफी रहे
तो विरह में प्रेयसी, क्यूँ कहीं व्याकुल फिरे


संजोकर खुबसूरत याद में, हर सुबह शाम ज़िक्र तेरा
थामकर हाथ हर लम्हा, जिया जिसने हर ख्वाब तेरा


इल्तजा जब बन जाये, इबारत दिल पर
खुदा को भी एक दिन, रास आ जाना है


आपका जिद आपका हक है
गर मचलेगा मना लेंगे हम

08.10.2012
चित्र गूगल से साभार