Friday 29 November 2013

मुलमुला त्रिमूर्ति चौक




बिलासपुर शिवरीनारायण राष्ट्रीय राज मार्ग पर बिलासपुर से २८ कि मी दूर
स्थित मुलमुला मुख्य मंत्री चिन्हित मार्ग से वर्धा पावर प्लांट से भी जुड़ता है

मेरा गांव मुलमुला जल संरक्षण और जल संवर्धन में अग्रगण्य
अपनी बसाहट, आबादी, रकबा, कला प्रेम, ग्राम्य देवता कि पूजा
फसलों कि विविधता धान, गेहूं, अरहर, मसूर, मूंग, उड़द, गन्ना
६०० एकड़ गोचर जमीन और लगभग ४० एकड़ का बंधवा तालाब

क्षत्रियों के बीच एक कहावत प्रचलित है
भैरो, भोला, भूसाऊ, भान एकर मरम ल नई जानय भगवान
आदरणीय भैरो सिंह नरियरा, भोला सिंह कोसा रिस्दा,
भुसाऊ सिंह जी कोनार, और भान सिंह जी तबला वादक 

ये चारों व्यक्ति अपने अद्भुत गुणों के कारण समाज में विख्यात रहे

श्री भान सिंह और श्री सुखसागर सिंह क्रमशः तबला और इसराज में
अनोखे कलाकार रहे जिनकी जन्मभूमि मुलमुला है इनके मित्र
बाजामास्टर श्री पचकौड़ प्रसाद नंदेली ने मित्रता और संगत निभाई
आज मुलमुला चौक को त्रिमूर्ति चौक के नाम से जाना जाता है
जहाँ इन तीनों मूर्धन्य कलाकारों की मूर्ति स्थापित की गई है
कभी इस चौक का नाम मैं और ब्रम्हेश्वर भाई ने मस्ताना चौक रखा था 

तालाबों की कड़ी में २६ तालाब 
सिरी बंद, गलबल बंद लिमाही , सुआ तालाब, तेली तालाब
राम बांधा, मुंदी डबरी, उछना, केसरताल, फूल सागर, छिरही
डूमरइहा, बईगिनडबरी, थुहा, माधो सागर, भोला तालाब,
टारबांध बंशी डबरी, नवा तालाब शबरिया डेरा, बंधाई,
नवा तालाब, कपूर ताल, डबरी, छपरहि, गतवा और बंधवा

मुहल्ला या पारा १९ 
गुडी पारा / गौटिया पारा / बखरी, सतनामी पारा, पटेलपारा,
केंवट पारा, बावा पारा, भैना पारा, घसिया पारा, पनिका पारा,
तेली पारा, ढीमर पारा, गोंड़ पारा, कुर्मी पारा, बगीचा पारा,
राऊत पारा, फ़ोकट पारा, स्कूल पारा, पइकहा पारा, शबरिया पारा,

आबादी लगभग ४५००, रकबा २१०० एकड़ दो फसली जमीन

सभी जाति के लोग अपनी रीत रिवाज, परम्परा, धर्म निर्वहन के साथ
अपने समुदाय में अलग बसाहट में रहते हैं किन्तु प्रवास के कारण लोग
बगीचा पारा और फ़ोकट पारा में शामिलात बस गए हैं

२९ नवम्बर २०१३
समर्पित मेरे पूर्वजों को