Tuesday, 7 May 2013

आसां है?

आसां है दर्द में हंसना और ख़ुशी में आँखे छलकाना? 

*
बहुत आसां है?
दर्द में रोना
और
ख़ुशी में हंसना?
लेकिन
तुम्हारी आँखों से
मैंने भी सीख लिया
दर्द में हंसना
और
ख़ुशी में रोना

**
दर्द को सहेजना
दिल की गहराई में
बाँट लेना दर्द भी
ख़ुशी के पलों में
पलकों को बिन भिगोये
ये फन भी सिखला दिया
राह चलते चलते
एक दिन यूँ ही
***
मैं तो जानता ही नहीं
दर्द में हंसना और हँसाना
छलक जाते हैं आंसू
गम में
तुम्हारी भीगी आँखों में
झांकता हूँ जब

कभी कभी आँखे तेरी
धोखा दे जाती हैं

०७ मई २०१३

11 comments:

  1. दर्द में हँसना और खुशी में रोना.. .बहुत सुंदर रचना आभार .

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  2. दर्द में हँसना और खुशी में रोना.. .बहुत सुंदर रचना आभार .

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  3. दर्द को सहेजना
    दिल की गहराई में,
    बाँट लेना दर्द भी
    ख़ुशी के पलों में,
    पलकों को बिन भिगोये
    ये फन भी सिखला दिया
    राह चलते चलते
    एक दिन यूँ ही,

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    atest post'वनफूल'
    ***

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  4. wah kya khoob, dard me mushkurahat aur khushi me aanshu

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  5. दर्द को सहेजना
    दिल की गहराई में
    बाँट लेना दर्द भी
    ख़ुशी के पलों में
    पलकों को बिन भिगोये
    ये फन भी सिखला दिया
    राह चलते चलते
    एक दिन यूँ ही--------
    जीवन के भोगे क्षणों की अभिव्यक्ति
    वाह बहुत सुंदर
    बधाई

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  6. दिल की गहराई से निकली बेहतरीन रचना.

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  7. शशि पुरवार जी आपके स्नेह का आभार

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  8. बहुत सुन्दर सशक्त अभिव्यक्ति....

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  9. वाह, बहुत ही सशक्त और भावप्रवण रचना.

    रामराम.

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  10. मैंने भी सीख लिया
    दर्द में हंसना
    और
    ख़ुशी में रोना
    बहुत सुन्दर ...

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  11. बहुत आसां है?
    दर्द में रोना
    और
    ख़ुशी में हंसना?
    लेकिन
    तुम्हारी आँखों से
    मैंने भी सीख लिया
    दर्द में हंसना
    और
    ख़ुशी में रोना

    kyaa baat hai ....
    bahut khoob ...!!

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