आसां है दर्द में हंसना और ख़ुशी में आँखे छलकाना? |
*
बहुत आसां है?
दर्द में रोना
और
ख़ुशी में हंसना?
लेकिन
तुम्हारी आँखों से
मैंने भी सीख लिया
दर्द में हंसना
और
ख़ुशी में रोना
**
दर्द को सहेजना
दिल की गहराई में
बाँट लेना दर्द भी
ख़ुशी के पलों में
पलकों को बिन भिगोये
ये फन भी सिखला दिया
राह चलते चलते
एक दिन यूँ ही
***
मैं तो जानता ही नहीं
दर्द में हंसना और हँसाना
छलक जाते हैं आंसू
गम में
तुम्हारी भीगी आँखों में
झांकता हूँ जब
कभी कभी आँखे तेरी
धोखा दे जाती हैं
०७ मई २०१३
दर्द में हँसना और खुशी में रोना.. .बहुत सुंदर रचना आभार .
ReplyDeleteदर्द में हँसना और खुशी में रोना.. .बहुत सुंदर रचना आभार .
ReplyDeleteदर्द को सहेजना
ReplyDeleteदिल की गहराई में,
बाँट लेना दर्द भी
ख़ुशी के पलों में,
पलकों को बिन भिगोये
ये फन भी सिखला दिया
राह चलते चलते
एक दिन यूँ ही,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
atest post'वनफूल'
***
wah kya khoob, dard me mushkurahat aur khushi me aanshu
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ReplyDeleteदर्द को सहेजना
दिल की गहराई में
बाँट लेना दर्द भी
ख़ुशी के पलों में
पलकों को बिन भिगोये
ये फन भी सिखला दिया
राह चलते चलते
एक दिन यूँ ही--------
जीवन के भोगे क्षणों की अभिव्यक्ति
वाह बहुत सुंदर
बधाई
दिल की गहराई से निकली बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteशशि पुरवार जी आपके स्नेह का आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सशक्त अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteवाह, बहुत ही सशक्त और भावप्रवण रचना.
ReplyDeleteरामराम.
मैंने भी सीख लिया
ReplyDeleteदर्द में हंसना
और
ख़ुशी में रोना
बहुत सुन्दर ...
बहुत आसां है?
ReplyDeleteदर्द में रोना
और
ख़ुशी में हंसना?
लेकिन
तुम्हारी आँखों से
मैंने भी सीख लिया
दर्द में हंसना
और
ख़ुशी में रोना
kyaa baat hai ....
bahut khoob ...!!