हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव |
मंदिर संग दीवालों पर अंकित दुर्लभ चित्रकारी के लिए बीस कोस तक जाना जाता है।
यह मंदिर नाटक, लीला और रथयात्रा के लिये आज भी बड़ी श्रद्धा से स्मरण किया जाता
है दशहरा और रथयात्रा की परम्परा जीवंत है एक समय इस मंदिर के सामने रायगढ़
नरेश राजा चक्रधर सिंह जी के राज नर्तक कार्तिक राम, उसके पुत्र रामलाल, पद्म श्री
कल्याण दास जी, और वेद मणि सिंह पखावज,तबला वादक भान सिंह, मेरे चाचा
श्री बीर सिंह, इसराज वादकसुख सागर सिंह, हारमोनियम पर नंदेली के पंचकौड़
प्रसाद जी, दद्दू खां जी, सुलक्षणा पंडित, श्यामशरण सिंह, श्री विशेश्वर सिंह जी
ने अपनी कला से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया।
ये एक संजोग और मेरा सौभाग्य है कि दादा श्री भान सिंह के सानिध्य में इन्हें सुनने
और इनकी कला वादन, गायन, नृत्य प्रदर्शन के दौरान संग रहने का सौभाग्य मिल गया।
मंदिर में संत, फ़क़ीर, और बाबा को आश्रय मिला ही गोदरिया बाबा जो भरथरी
चरित गायक ने भी अपना डेरा आज तक बनाया है लगभग १९६८ में कक्षा ८ वीं
की परीक्षा के दौरान अपनी छोटी बुआ करुणा दीदी के घर रुका था यह भी संजोग
कि आप श्री विसेश्वर सिंह की बहु हैं और घर मंदिर के सामने तब के भरथरी के
गाये गीत जेहन में आज भी कानों में गूंज रहे हैं
कल भी इनका अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाया था आज जिज्ञासावश आपसे बांटता हूँ
*
चाहे भाई कितना बैरी हो
उससे कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये
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चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो
उससे सब कुछ बतलाना नहीं चाहिये
***
चाहे बेटी कितना प्यारी हो
उससे हर घर घुमाना नहीं चाहिये
****
चाहे बेटा कितना दुलारा हो
उससे सिर पर चढ़ाना नहीं चाहिये
ये गोदरिया बाबा बड़े निर्विकार भाव से भरथरी चरित के साथ इन गीतों को बड़े आनद से गुनगुनाते गाते है किन्तु जितना कह देना आसान है इन्हें इनके मूल बोल के साथ सुन पाना आसान नहीं।
आज इन कला मर्मज्ञों में श्री वेदमणि जी रायगढ़, श्री रामलाल जी रायगढ़, सुलक्षणा पंडित मुंबई ही वसुधा पर हैं शेष को मेरा सादर प्रणाम सहित नरियरा के बुजुर्गों को नमन जिन्होंने मंदिर बनवाया।
प्रार्थना रात को आज भी मंदिर में गूंजती है
*****श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणं*****
१६ मई २०१३
चित्र गूगल से साभार
समर्पित स्व. शशि भूषण भाई को जिनकी कमी खलती है।
बहुत सुंदर और अकाट्य रचना बहुत खूब....
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ReplyDeleteचाहे भाई कितना बैरी हो
ReplyDeleteउससे कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये
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चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो
उससे सब कुछ बतलाना नहीं चाहिये
***
चाहे बेटी कितना प्यारी हो
उससे हर घर घुमाना नहीं चाहिये
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चाहे बेटा कितना दुलारा हो
उससे सिर पर चढ़ाना नहीं चाहिये
ये वाक्य तो परम भौतिक सत्य हैं, जो इन्हें अपना ले उसका जीवन सफ़ल हो जाये, बहुत ही प्रेरक.
रामराम.
चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो
ReplyDeleteउससे सब कुछ बतलाना नहीं चाहिये
यह समझाइश काफी प्राचीन है आपकी चर्चा से पता चला
kya is bat ko aaj koi apane jeevan men aajmata hai mujhe nahi lagata ...
ReplyDelete......who i m....
cinemawala7@gmail.com
मन को स्पर्श करती रचना
ReplyDeleteआलेख के साथ कविता भी
बहुत सुंदर सामजस्य
बधाई
आग्रह है पढ़ें "बूंद-"
http://jyoti-khare.blogspot.in
Goooood!
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