शालीनता अकलतरा में
बचपन में अकलतरा अपने सौहाद्रता, सौजन्यता, प्रेम, सेवा, त्याग, सदभावना,
मिलनसारिता, अनेकता में एकता, और सबसे ऊपर अपने विनम्रता के लिए
जाना जाता था। शांत, सौम्य वातावरण में लोगो का मेल मिलाप सभी त्यौहारों में
दशहरा, दीपावली, भोजली, दुर्गा उत्सव,की बात अलग हैं, अकाल में कुएं से पानी
निकालते समय भी बाटते देखा प्रेम को खुले हाथों निर्विकार।
यह क़स्बा बाम्बे हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर बिलासपुर से २८ कि.मी.दूर स्थित।
*****कल*****
बखरी गए थे क्या चन्दा के लिए?
पूछते थे नगर सेठ मुस्कुराकर
एक रूपया कम लिखना
महाराज के चंदे से
*****आज *****
१*
कल तक ऐतबार था जिन दोस्तों पर
अज़ीज़ थे
मैं भी था महफिलों में
आज मुंह फेर लिया मेरी लाचारी पे
लगते है अजीब
निकल जाते हैं सामने से
मुस्कुराकर
कोई शिकवा नहीं न गिला
न कोई तकलीफ
अब मैं उन्हें जान गया।
२**
लगता है सांस थम जायेगी
थाम लेता हूँ दम
कल तक दस्तक देता था
पत्नि और भाई के लिये
आज
ऐतबार हो गया खुद पे
खुदा से ज्यादा
मैं जानता हूँ
लोग आयेंगे
मुझसे मिलने
तब मैं मुंह फेर लूँगा
०२. ०३. २०१३
मित्र अनिल जैन को समर्पित
चित्र गूगल से साभार
[ बखरी अर्थात श्री राहुल कुमार सिंह जी *सिंहावलोकन * का घर ]
[ महाराज अर्थात श्री राजेंद्र कुमार सिंह जी या श्री सत्येन्द्र कुमार सिंह जी ]
बचपन में अकलतरा अपने सौहाद्रता, सौजन्यता, प्रेम, सेवा, त्याग, सदभावना,
मिलनसारिता, अनेकता में एकता, और सबसे ऊपर अपने विनम्रता के लिए
जाना जाता था। शांत, सौम्य वातावरण में लोगो का मेल मिलाप सभी त्यौहारों में
दशहरा, दीपावली, भोजली, दुर्गा उत्सव,की बात अलग हैं, अकाल में कुएं से पानी
निकालते समय भी बाटते देखा प्रेम को खुले हाथों निर्विकार।
यह क़स्बा बाम्बे हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर बिलासपुर से २८ कि.मी.दूर स्थित।
*****कल*****
बखरी गए थे क्या चन्दा के लिए?
पूछते थे नगर सेठ मुस्कुराकर
एक रूपया कम लिखना
महाराज के चंदे से
*****आज *****
१*
कल तक ऐतबार था जिन दोस्तों पर
अज़ीज़ थे
मैं भी था महफिलों में
आज मुंह फेर लिया मेरी लाचारी पे
लगते है अजीब
निकल जाते हैं सामने से
मुस्कुराकर
कोई शिकवा नहीं न गिला
न कोई तकलीफ
अब मैं उन्हें जान गया।
२**
लगता है सांस थम जायेगी
थाम लेता हूँ दम
कल तक दस्तक देता था
पत्नि और भाई के लिये
आज
ऐतबार हो गया खुद पे
खुदा से ज्यादा
मैं जानता हूँ
लोग आयेंगे
मुझसे मिलने
तब मैं मुंह फेर लूँगा
०२. ०३. २०१३
मित्र अनिल जैन को समर्पित
चित्र गूगल से साभार
[ बखरी अर्थात श्री राहुल कुमार सिंह जी *सिंहावलोकन * का घर ]
[ महाराज अर्थात श्री राजेंद्र कुमार सिंह जी या श्री सत्येन्द्र कुमार सिंह जी ]
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteबदल जाये अगर दुनिया,बदल जाने दीजिये
ReplyDeleteमुहं फेर ले गर दुनियां,कोई बात नहीं,आप ना फेरिये !-बहुत अच्छा प्रस्तुति
latest post मोहन कुछ तो बोलो!
latest postक्षणिकाएँ
एक वो भी दीवाली थी एक ये भी दीवाली है
ReplyDeleteउजड़ा हुआ गुलशन है रोता हुआ माली है
आज
ReplyDeleteऐतबार हो गया खुद पे
खुदा से ज्यादा
मैं जानता हूँ
लोग आयेंगे
मुझसे मिलने
तब मैं मुंह फेर लूँगा.
सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.
सुंदर रचना और अहसासात की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर रचना..
ReplyDeleteIf you are dangerous more or less learningBuying A Car With Bad Credit account,
ReplyDeleteyou must keep in an auto group and Make for it to you so you
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सुन्दर प्रस्तुति... बधाई
ReplyDeleteवाह अच्छा लिखा है
ReplyDeleteवक़्त भरोसा नहीं. सब कुछ बदल देता. संवेदनशीलता, रिश्ते... सब कुछ. शुभकामनाएँ.
ReplyDelete"KOE DOST HAI N RAKIB HAI ,TERA SHAHAR KITNA AZIB HAI" ko chalo kyun kah le,"sabhj dost hain sabnhi adib hain mere dil me hai ,mere khatib hain" AZIZ KI TARAF SE HOLI KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN,SADAR
ReplyDeleteसटीक और वर्तमान का सार्थक सच
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
बहुत बहुत बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग jyoti-khare.blogspot.in
में सम्मलित हों ख़ुशी होगी
sahi bat kai bar aise bhi pal aate hain jivn me ....
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