Tuesday, 23 October 2012

ज़रा देखूं



यूँ जो टूटा वो तन्हा होता ही है
जो तोड़ा वो तन्हा हो जाता है


समझने और समझाने में सपने टूट जाते हैं
बैठो संग, चलें कुछ दूर, शायद पास आ जायें


झुकाकर आँख दिल में झांकना तेरी अदा है
ज़रा देखूं ला मेरा नाम पंखुड़ी में लिखा है


दफ़न यादों में सब कुछ देख कोई शिकवा गिला है
सहेजा मान मर्यादा फिर बिखरा सिमटा मिला है

24.10. 2012
चित्र गूगल से साभार  

8 comments:

  1. झुकाकर आँख दिल में झांकना तेरी अदा है
    ज़रा देखूं ला मेरा नाम पंखुड़ी में लिखा है
    वाह , शानदार मनमोहक रचना

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  2. झुकाकर आँख दिल में झांकना तेरी अदा है
    ज़रा देखूं ला मेरा नाम पंखुड़ी में लिखा है
    dil me utar gaya, wah! mere naya post http://vichar-anubhuti.blogspot.in

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  3. विजयादशमी की शुभकामनाएं । मेरे नए पोस्ट पर आपका हार्दिक स्वागत है। धन्यवाद।

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  4. समझने और समझाने में सपने टूट जाते हैं
    बैठो संग, चलें कुछ दूर, शायद पास आ जायें

    यही बयान करती मेरी पोस्ट
    चार दिन ज़िन्दगी के .......
    बस यूँ ही चलते जाना है !!

    padiyega

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  5. दूर से ही देखिये अपना नाम -जमाना खराब है :-)

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