इश्क खुदा है?
इश्क ही रब है?
प्रेम ईश्वर है?
तब प्रेम में कष्ट क्यों?
प्रेम अंधा होता है?
या मूंद लेता है आंखे?
प्रेम करनेवाला निर्बल?
प्रेम ह्रदय में बसता है?
बड़ी खूबसूरती से
तुमने दामन छुड़ाया
कर लिया किनारा
हाथ सरकाकर
तुम्हे पता है
हमें खबर हुई?
बस अलग हो गये
अगले चौराहे से
बिन कहे बिन सुने
उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर
एक ऐसी यात्रा में
जिसका ओर न छोर
15.04.2011
कोई नहीं समझ सका इसे ...
ReplyDeleteआभार रमाकांत जी !
सोचने के लिए प्रेरक प्रश्न... शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
ReplyDeleteएक ऐसी यात्रा में
ReplyDeleteजिसका ओर न छोर!
मर्मस्पर्शी!
नियति
ReplyDelete