मुस्कुराने के लिये, गर चाँद ही काफी रहे
तो विरह में प्रेयसी, क्यूँ कहीं व्याकुल फिरे
संजोकर खुबसूरत याद में, हर सुबह शाम ज़िक्र तेरा
थामकर हाथ हर लम्हा, जिया जिसने हर ख्वाब तेरा
इल्तजा जब बन जाये, इबारत दिल पर
खुदा को भी एक दिन, रास आ जाना है
आपका जिद आपका हक है
गर मचलेगा मना लेंगे हम
08.10.2012
चित्र गूगल से साभार
मुस्कुराने के लिये, गर चाँद ही काफी रहे
ReplyDeleteतो विरह में प्रेयसी, क्यूँ कहीं व्याकुल फिरे
... marhawaa...
भावभीनी रचना -बहुत सुंदर
ReplyDeleteरोचक रचना। मन के भाव मन को हर्षित करते हैं।
ReplyDeleteवाह क्या खुब कही ...
ReplyDeleteवाह ...
Computer World पधारे कंप्यूटर की बेहतरीन फ्री दुनिया में।
वाह क्या खुब कही ...
ReplyDeleteवाह ...
Computer World पधारे कंप्यूटर की बेहतरीन फ्री दुनिया में।
सुंदर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteकल 05/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
संजोकर खुबसूरत याद में, हर सुबह शाम ज़िक्र तेरा
ReplyDeleteथामकर हाथ हर लम्हा, जिया जिसने हर ख्वाब तेरा
:)
भाव पूर्ण रचना... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com आप का स्वागत है।
ReplyDelete