Friday, 31 August 2012

ईमानदारी


तुम्हारा नाम क्या है ?
जी अमित कुमार
किस कक्षा में पढ़ते हो ?
जी सर सातवी कक्षा में
एक कागज पर लिखा 299 रूपया
500 रूपया दिया गया बालक को
नंबर 9827883541 में टॉप अप डलवाना

अमित थोड़ी देर में वापस लौटा
201 रूपया बकाया लेकर
वर्ष 2012 में 1 रूपया की कीमत ?
शून्य या अनमोल ?
जिसने बनाना चाहा बना डाला

अमित ने मुझे 201 वापस किये
लौटने लगा, मैंने आवाज दी
अमित अपनी ईमानदारी लेते जाओ बेटा
बालक आश्चर्य से मेरी और देखने लगा
मैंने कहा ये भले ही एक रूपया का सिक्का है
किन्तु यह तुम्हारे ईमानदारी का प्रतिक है

बेटा अमित अपनी ईमानदारी
सदा अपने साथ रखना
मैंने उसे 1 रूपया का सिक्का दिया
उसने बड़ी श्रद्धा से उसे स्वीकार किया
उस बच्चे में वर्ष 2012 में ही
उसका उज्जवल भविष्य नज़र आया

आज भी ऐसे लोग हैं
जिन पर गर्व किया जा सकता है
हाँ ये बात अलग है कि
उनसे हमारी मुलाकात किस मोड़ पर हुई

रमाकांत सिंह
30.08.2012
ये पोस्ट अमित जैसे विद्यार्थी को समर्पित
जिसके कारण शिक्षक  अपना सम्मान
सुरक्षित पाते हैं , मैं तो इनका कायल हूँ .

Saturday, 18 August 2012

हकीकत


ख्वाब तेरे हों या मेरे ये सदा होते ही हैं पुरे
बस इसे अंजाम तक हो हौसला ले जाने का


हमने सुना है प्यार में खरा रोकड़ा  ही चलता है
भला बतलायें प्यार भी कभी उधार में मिलता है?


अचानक अनायास  जुड़ जाते हैं हादसे हमसे
करें प्रेम की बारिस बादल आसमां पे छायेंगे

रहेगा आँगन ये हरा भरा हर दिन
बादल गरजेंगे नहीं बरसना होगा



दिल से जब दर्द का यूँ गुबार छंट जाता है
खुद ब खुद अपनों पे प्यार छलक जाता है



याद और चाहतें बनाये रखिये ये ख्वाब हकीकत में बदल जाते हैं
आरजू पाक रखें इन्सां अल्लाह रंग दिल के  पन्नों पे उतर आते हैं


रंज ओ गम के हालात में कौन कहाँ दिखता है ?
दर्द दिल के बयां करने को शब्द कहाँ मिलता है ?

19.08. 2012
चित्र गूगल से साभार  

Wednesday, 15 August 2012

बैरागी



सुलगती आहें उभर आई है बिंदी बनकर
न जाने ये मौन क्या गुल खिलायेगा अब ?


तुमने आज सहकर देख लिया, अब मेरी बारी है ?
तेरी आँखों को मैंने पढ़ लिया, अब तेरी बारी है ?


भीगी बारिस में एक परी, किसका रस्ता यूँ ताक रही ?
कहती बूंदें ये बरस बरस, तू व्यर्थ ही रस्ता ताक रही ?


अनुरागी बैरागी मांगे, प्रभु पद में अनुराग
बैरागी अनुरागी बन, जग से कैसे वितराग


बैरागी अनुरागी फिर, कैसे जग से अनुराग ?
वितरागी अनुरागी फिर, कैसे जग से बैराग ?


15.08.2012

Saturday, 11 August 2012

उपहार


मुस्कुराकर आज यूँ, न्यौता दिया है कल को
लगता है कल बाँध लेंगी, मुट्ठियों में समय को


चाह में कुछ खोजने के, खुद कहाँ मैं खो गया
हैवानों की बस्ती में हर, रास्ता कुछ नया नया


तन भीगा मन भीगा, भीगा सारा संसार
इन्द्रदेव भी बरसे हम पर, बारिस का उपहार


रिश्ते होंगे अपने तो, रास्ते बन जायेंगे
रास्ते अपने हों तो, रिश्ते जुड़ जायेंगे 


चित्र गूगल से साभार 
10.08.2012  

Monday, 6 August 2012

नजरिया


यात्रा में पुत्री ने कहा
पिताजी
हां बिटिया
ऐयर होस्टेस हमें देखकर
क्यों मुस्कुरा रही थी?
ऐसा बिटिया

टेक्सी वाले ने क्यों पूछा
साब कैसे होटल में ले चलूं?
पापा
वेटर हमें तिरछी नजरों से
क्यों देख रहा था?

बाबूजी
दवार्इ दुकानदार ने बिना पूछे
क्यों कहा किस कंपनी का दूं?
साब लेटेस्ट आया है
दूं क्या साब?

पिता ने पुत्री से कहा
कौन जानता है हमें यहां
तुम्हारे और मेरे अतिरिक्त
हम पिता.पुत्री हैं

मुझे ऐसा प्रतीत होता है
आज सभी रिश्तों को
घुन सी लग गर्इ है
चढ़ा दिया है सबने इसे
एक ही तराजू के पलड़े पर

शायद लोगों का
नजरिया बदल गया
या हमारे चलने का ढ़ग
कहीं ऐसा तो नहीं
बदल गया चलन

06.08.2012
चित्र गूगल से साभार

Wednesday, 1 August 2012

इबादत



मुकद्दर की लकीरों को बदलना सीख ले राही
देखना खुद ही एक दिन उगेंगे पंख सोने के

है काम कायर का झुकाना सिर उठाकर फिर
इबादत में उठाया हाथ आसमां थाम लेता है

प्रस्फुटित हर भाव मन में वेद लिखता है
मन रमे जब प्रेम में भगवान मिलता है

आस में आँखें टिकी हैं बंद लब कुछ बोलते
प्रेम है या बेबसी हर राज दिल का खोलते

चित्र गूगल से साभार 
01.08.2012