Sunday, 13 January 2013

मोती




ये अक्सर हो जाता है अक्सर हर बार क्यूँ तेरे साथ ही
मेरी माँ, बहन, बेटी मुझसे ही पूछ बैठते हैं हर पल क्यूँ?

न होगा हादसा न आंसूं न तमाशा बनने देंगे
न होगा मौन जन दुर्योधन सजायेगा सभा

ज़िन्दगी पास तेरे सोचता हूँ अक्सर हर लम्हा
तुझसे नाराज़ हूँ मैं या फिर नाराज़ मुझसे तू

बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से

हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी

14.01.2013
चित्र गूगल से  साभार   

17 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 16/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
    रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से

    हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
    सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी

    उत्तम विचार उत्तम सन्देश !
    New post: कुछ पता नहीं !!!
    New post : दो शहीद

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  3. हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
    सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी

    बहुत सही ,,,, सार्थक रचना

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  4. बहुत सही ....सार्थक रचना

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  5. realistic creation....very nice !

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

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  7. हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
    सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी

    बहुत सही !

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    Gift- Every Second of My life.

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  8. बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
    रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से.

    सुंदर विचार पेश किये हैं इस रचना में.

    धन्यबाद.

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  9. बहुत भावपूर्ण,अर्थपूर्ण रचना सर!
    "हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
    सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी "- ये पंक्तियाँ पढ़कर दिल से बस यही आवाज़ आती है...
    'आमीन!'
    ~सादर!!!

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  10. हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
    सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी .....

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  11. उत्तम भविष्योन्मुखी रचना
    मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    चेतन भगत और भैया जी

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  12. आपको गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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  13. अति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...

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  14. बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
    रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से----sunder bhaw badhai

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