ये अक्सर हो जाता है अक्सर हर बार क्यूँ तेरे साथ ही
मेरी माँ, बहन, बेटी मुझसे ही पूछ बैठते हैं हर पल क्यूँ?
न होगा हादसा न आंसूं न तमाशा बनने देंगे
न होगा मौन जन दुर्योधन सजायेगा सभा
ज़िन्दगी पास तेरे सोचता हूँ अक्सर हर लम्हा
तुझसे नाराज़ हूँ मैं या फिर नाराज़ मुझसे तू
बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से
हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी
14.01.2013
चित्र गूगल से साभार
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 16/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
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ReplyDeleteबोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
रचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से
हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी
उत्तम विचार उत्तम सन्देश !
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ReplyDeleteहौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी
बहुत सही ,,,, सार्थक रचना
बहुत सुंदर सुविचार ।
ReplyDeleteबहुत सही ....सार्थक रचना
ReplyDeleterealistic creation....very nice !
ReplyDeletesundar vichar..
ReplyDelete:)
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteहौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
ReplyDeleteसभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी
बहुत सही !
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Gift- Every Second of My life.
बोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
ReplyDeleteरचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से.
सुंदर विचार पेश किये हैं इस रचना में.
धन्यबाद.
बहुत भावपूर्ण,अर्थपूर्ण रचना सर!
ReplyDelete"हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
सभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी "- ये पंक्तियाँ पढ़कर दिल से बस यही आवाज़ आती है...
'आमीन!'
~सादर!!!
हौसला रख जवाब देने का जहां की रुत बदल जायेगी
ReplyDeleteसभी बेटी, बहन, बहू, माँ राह चैन के चलती जायेगी .....
उत्तम भविष्योन्मुखी रचना
ReplyDeleteमेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
चेतन भगत और भैया जी
आपको गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.
ReplyDeleteअति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबोयेंगे मोती के दाने उगायेंगे महल सपनों के
ReplyDeleteरचेंगे इस धरा पर हम अपने आस हाथों से----sunder bhaw badhai