Saturday, 22 September 2012

तन्हा

हवा का रुख बदलता है, बदल पाई ऋतुएं भी?
बदल पाये तेरी यादें, ऐसी वो रुत कहाँ आई

सपनों को उगायेंगे, हम क्यूं ज़िन्दगी से हारें
हर फ़र्ज निभायेंगे, हर पल ज़िन्दगी को वारें

लाख मुश्किलें खड़ी हों, हम ये हौसला रखेंगे
तन्हा कहां तनहाइयाँ, लिखा तकदीर बदलेंगे


23.09.2012

5 comments:

  1. सुन्दर और सकारात्मक सोच लिये सुन्दर रचना..

    ReplyDelete
  2. अच्छी लगी यह रचना।

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर रचना है , बधाई |

    ReplyDelete
  4. @ लाख मुश्किलें खड़ी हों, हम ये हौसला रखेंगे
    तन्हा कहां तनहाइयाँ, लिखा तकदीर बदलेंगे
    - बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete