हवा का रुख बदलता है, बदल पाई ऋतुएं भी?
बदल पाये तेरी यादें, ऐसी वो रुत कहाँ आई
सपनों को उगायेंगे, हम क्यूं ज़िन्दगी से हारें
हर फ़र्ज निभायेंगे, हर पल ज़िन्दगी को वारें
लाख मुश्किलें खड़ी हों, हम ये हौसला रखेंगे
तन्हा कहां तनहाइयाँ, लिखा तकदीर बदलेंगे
23.09.2012
सुन्दर और सकारात्मक सोच लिये सुन्दर रचना..
ReplyDeleteअच्छी लगी यह रचना।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना है , बधाई |
ReplyDelete@ लाख मुश्किलें खड़ी हों, हम ये हौसला रखेंगे
ReplyDeleteतन्हा कहां तनहाइयाँ, लिखा तकदीर बदलेंगे
- बहुत सुन्दर!
very nice...............
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