Saturday, 21 July 2012

मोक्षपथ

Creation of 13th cent. poet Sant Gyandev

Another Creation of 13th cent. poet Sant Gyandev

Table with play and fun


Thursday, 12 July 2012

बंध

नाचे कौन नचाये कौन, ये  मालिक जाने
हम तो तेरे पैरों के, थिरकन पे थिरक बैठे ..

ये अक्सर होता है , जो बनाता है वो भोगता ही नहीं .
आइना दिखाता है हमें , वो कभी देखता ही नहीं ..

खुल जाये जो बंध , वो गांठ होती है ?
न टूटे न खुले , वो तेरा मेरा रिश्ता ..

Sunday, 1 July 2012

दायरा

ज़रा ठहर तेरे चेहरे तेरे नज़र से नज़र हटाने दे
फिर तेरे आँखों के फ़साने की बात पढ़ता हूँ ..

क्यूं  जले मन दीप जैसा रात के एकांत में
जागती आँखें निहारें पथ किसी के प्यार के ..

दायरा तेरा मेरा क्यूँ मेरा तेरा न बन सका
चाँद की तस्वीर तकते उठते गिरते लहर पर ..

चित्र गूगल से साभार 
01.07.2012
समर्पित स्वर्ग से उतरी अप्सरा को