तुम कुंठित हो?
राम को तुमने जन्म नहीं दिया
तुम कुपित हो?
बुद्ध तुम्हारी कोख ने नहीं जना
क्यूँ क्रोधित हो?
तुम यशोदानंदन की माँ नहीं
तुम्हे गर्व नहीं?
कि तुम
एक विकलांग बेटी की माँ हो
तुम्हारे स्वाभिमान को ठेस लगी?
दे दिया जन्म पुत्री को
पुत्र ही जन लेती तो क्या हो जाता?
पुत्री ने हंसने का हक छीन लिया?
गर्व संतान पर?
या लिंग संरचना पर?
या क्रोध ईश्वर की कृति पर?
वा अपनी कोख पर?
कल वो करेंगे फैसला
सही गलत का
तब न तुम होगे न मैं
सिरजन को सृजन रहने दो
11 जून 2013
समर्पित माँ को
जिन्हें गर्व है अपनी पुत्री पर
बहुत खूब, खूबशूरत अहसाह ,बेहतरीन ,सटीक और सार्थक प्रस्तुति ,बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत खूब!! सिरजन को सृजन ही रहने दो.....
ReplyDeleteबहुत ही सटी, सामयिक और खूबसूरत अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
भूल सुधार:-
ReplyDeleteसटी = सटीक पढा जाये.
रामराम.
आपकी यह रचना कल गुरुवार (13-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत बहुत खुबसूरत भाव उत्तम अभिव्यक्ति !
ReplyDeletelatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
तुम सृजक हो, संस्कारों,मूल्यों और सृष्टि का अनमोल उपहार हो...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव... शुभकामनायें
गर्व संतान पर?
ReplyDeleteया लिंग संरचना पर?
या क्रोध ईश्वर की कृति पर?
वा अपनी कोख पर?--------
अदभुत रचना
सादर
आग्रह है
पापा ---------
अकुंठित मातृत्व का सहज चित्रण -आभार 1
ReplyDeleteसवेंदनशील विचार
ReplyDeleteसवेंदनशील विचार
ReplyDeleteबेटी होना, बेटी की माँ होना गुनाह है तो विकलांग बेटी की माँ होना... दोषी बस हमारा समाज. विचारपूर्ण रचना. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteकल वो करेंगे फैसला
ReplyDeleteसही गलत का
तब न तुम होगे न मैं
सिरजन को सृजन रहने दो
sahi hai sarthak rachna ...
बहुत शानदार लिखा है ,बहुत ही सार्थक ।
ReplyDeleteगर्व संतान पर?
ReplyDeleteया लिंग संरचना पर?
या क्रोध ईश्वर की कृति पर?
वा अपनी कोख पर?
MN KI JHAKJHORTI ..PANKTIYAAN
आज की कुरूतियो को बताती एक अच्छी रचना , शुभकामनाये, कभी यहाँ भी पधारे ,
ReplyDeletehttp://shoryamalik.blogspot.in/2013/04/blog-post_5919.html
सृजन की शक्ति है..यही क्या कम है?
ReplyDeleteगर्व होना ही चाहिए!
विचार करने योग्य रचना!
~सादर!!!
सार्थक रचना....
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