बीत जाते है
प्रतिदिन कई घंटे
नहाने, खाने, श्रृंगार, यात्रा, संकलन,
वार्ता, दान, ज्ञान, निर्माण, विध्वंस,
लड़ाई, झगडा, संतान उत्पत्ति,
शादी ब्याह, रख रखाव, लेन देन,
दायित्वों के निर्वहन में
आधी उम्र बीत गई
रात के अँधेरे में करवट बदलते
८ बरस बीत गये बचपन के लाड़ में
शायद बीत जायेगा
५ बरस बुढापा में
जीवन का
जोड़, घटाव, गुणा और भाग
कितने कम समय के लिए
इतने समय के लिए
वैमनस्यता, बैर, राग द्वेष?
घृणा के लिए समय?
तो प्रेम क्यों नहीं?
कुछ पल ही सही
ज़िन्दगी जीने के लिए
चलो रोपते है
प्रेम तरु
पल्लवित होगा सींचेंगे श्रमकण
शाखाओं पर होंगे हरे पत्ते
फूल और फल लगें न लगे
कम से कम छांव तो मिलेगी
चित्र गूगल से साभार
चन्दन ज्वेलर्स के कर्ता धर्ता
श्री मदन मामा को समर्पित