Saturday 29 September 2012

श्रद्धांजलि


काले गोरे का भेद बताकर करे विदेश अपमान
कौन यहाँ पर राज किया है भारत इसका नाम
अमर रहेगा नाम जगत में बापू तेरा काम
बापू तेरा नाम जग में अमर रहेगा काम

प्रेम भाव से दीन दुखी के विपदा को निपटाया
सत्य, अहिंसा,और शान्ति को तूने अस्त्र बनाया
इस दुनियां में प्रेम जताकर किया नारी का मान

खादी धोती और कुरते ने अपना असर दिखाया
अंगरेजों की ऊंची गरदन अपने आप झुकाया
व्यर्थ हुए सब अंगरेजों के जोर जुलुम के काम

याद में तेरी आज बहाती आंसू ये सूनी गलियाँ
फूलवारी लगा गया पर देखी न खिलती कलियाँ
इस दुनियां से राम राम कह चला छोड़ सब काम

गलती से हमें सदा बचाना होगी हमसे भूल
चरणों में तेरी आज समर्पित श्रद्धा के कुछ फूल
सत्कर्मों से सीख हमें दे करने चले विश्राम

29.09. 1975
बुनियादी प्रशिक्षण संस्था पेंड्रा में
आयोजित गाँधी जयंती पर प्रस्तुत
चित्र गूगल से साभार

Saturday 22 September 2012

तन्हा

हवा का रुख बदलता है, बदल पाई ऋतुएं भी?
बदल पाये तेरी यादें, ऐसी वो रुत कहाँ आई

सपनों को उगायेंगे, हम क्यूं ज़िन्दगी से हारें
हर फ़र्ज निभायेंगे, हर पल ज़िन्दगी को वारें

लाख मुश्किलें खड़ी हों, हम ये हौसला रखेंगे
तन्हा कहां तनहाइयाँ, लिखा तकदीर बदलेंगे


23.09.2012

Wednesday 12 September 2012

ये ज़िन्दगी


परछाइयों से ज़िन्दगी दबती रहीं कहीं ?
परछाइयों से ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी रहीं?

आग पर चलकर यहाँ दरिया सुखाने मैं चला
रेत के घरौंदे अगोरे सागर किनारे वक़्त बन ?

दर्द-रंज-ख़ुशी अश्कों में उभर आता है
वक़्त कभी हर जख्म को भर पाता है?

लाख कर लो यकीं और सोच लो दिल में
जो गुज़र गया वो कभी फिर लौट पाता है?

12.सितम्बर 2012